जौहरियों की कमी
आशिक़ ज्यों ठहरे वो तो बिकना पसंद कर चुके,
यः कह कर की बस अब से मुफत में ही सही!
दुनिया ही थी ऐसी निराली, बिचारी क्या करती,
कलि-क्लेश में जौहरियों की कमी हो चुकी थी!
आशिक़ ज्यों ठहरे वो तो बिकना पसंद कर चुके,
यः कह कर की बस अब से मुफत में ही सही!
दुनिया ही थी ऐसी निराली, बिचारी क्या करती,
कलि-क्लेश में जौहरियों की कमी हो चुकी थी!