आख़िरी दिन
जब मालूम हो जावे
आख़िरी दिन है
मुलाक़ात का
बातचीत का
दुखसुख मिल बाँटने का
जब ये न मालूम हो मगर
मुलाक़ात फिर होगी भी
तो कब, कहाँ
किस हाल में!
जब मालूम हो जावे
आख़िरी दिन है
मुलाक़ात का
बातचीत का
दुखसुख मिल बाँटने का
जब ये न मालूम हो मगर
मुलाक़ात फिर होगी भी
तो कब, कहाँ
किस हाल में!