भाखाएँ
हुज़ूर हिंदी-हिंदी करत हो
यह तो कृपया करें, बतावें
कि बाक़ी भाखाएँ हिंद की
इन सभन का गला
घोंटूँ कैसे
कहाँ इन्हें दफ़्न करूँ
नज़रंदाज करूँ?
मेरे पास गर
गिनती नहीं
औ न: मिनती
तो क्या?
भाषाएँ दोस्त
सिर्फ़ लोकगणना होने से
ना बड़ी होती हैं और न छोटी
न अहमियत पाती हैं ना खोतीं
भारत की हर भाषा उपभाषा
राष्ट्रीय ख़ज़ाना है
सिर्फ़ किसी एक भाषा का
प्रचार पसार करना
वतन की सूक्ष्म विरासत का
अपमान सा लगता है
ये मेरा मानना है।