बंदा ना सुधरेगा
यह तो आज ही पता लगता है
फिर याद यह दिलाया जाता है
की “सच्च” को भी जीतने के लिए
“झूठ” से फ़रेब करना पड़े है
तनिक मक्कार होना पड़े है!
यह तो खुदा ही जाने
की झूठ क्या और सच क्या
मैं जब भी मिलता हूँ
सच से औ झूठ से
दोनों को “हम अब्ब भी
भ्रम में हैं” कहता पाता हूँ!
पर बंदा ना सुधरेगा!