सचु हारि कमावै झूठ
सच्च को मैंने भांपा नहीं
झूठ अभी भी त्यागा नहीं
क़दम एक उदासी चला नहीं
मन आसनिरासि हुआ नहीं
क्या जानूँ क्या सच होवे है
और ना स्यानूँ झूठ।
कौन किस पे हारिया
किस वारिया कै डारिया
किस छलिया अहं जालिया
परतपालिया सुहागनाविया
झूठ ना बोले झूठ रे लोगो
सचु हारि कमावै झूठ।
मुबारक?
अफ़सोस?
सही है सच हार रहा है झूठ कमा रहा है। बहुत शानदार