सबूत
सूरज से माँगा है सबूत
बता की कित्ते ग्रह रोशन किये
अहं कहाँ दुष्टों के जलाये
कहाँ दफ़न किये
चाँद से कभी सवाल किये
कित्ते आशिक़ आज बना दिए
आस के दीये कित्ते जल रहे
कित्ते सुलग गये
कोयल से पूछा कभी
गीत कितने गा लिये
भेद कैसन सुलझा लिये
हमसे फिर सवाल करने की
जुर्रत कैसे करते हो?