सिक्खी दफ़्न नहीं
क्या सोचत हो?
सिक्खी नहीं मिटा पाओगे
सोचो
क्यों
चलो व्यंग भी कर लें इक पल
तीन हस्तियां हैं—ट्रिनीटी कहि लें
पारब्रह्म परमेसर—श्री अकाल
गुर परमेसर—बाबा नानक
सिक्ख परमेसर—जैसे की हम
आपसे
हम तीनों में
सिर्फ हम छोटे है
वो दो नहीं
मुझे डारदेने से
सिक्ख मरेगा
सिक्खी दफ़्न नहीं!