जौहरियों की कमी
आशिक़ ज्यों ठहरे वो तो बिकना पसंद कर चुके,
यः कह कर की बस अब से मुफत में ही सही!
दुनिया ही थी ऐसी निराली, बिचारी क्या करती,
कलि-क्लेश में जौहरियों की कमी हो चुकी थी!
Posted by JPS on January 17, 2017 · Leave a Comment
आशिक़ ज्यों ठहरे वो तो बिकना पसंद कर चुके,
यः कह कर की बस अब से मुफत में ही सही!
दुनिया ही थी ऐसी निराली, बिचारी क्या करती,
कलि-क्लेश में जौहरियों की कमी हो चुकी थी!
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