मुद्दा

यह दुनी जिस कम्बख़त बनायी
बात एक भी छोटी नहीं
अजब के तत्त की हाथ बोटी नहीं

ताल्लुकात पुराना एक नहीं
नहीं कहीं
बिगड़े को क्या
सवरे को क्या
मुद्दा तो वो एक ही आप बने बैठा था
सही भी वही आप था औ गलत भी!

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