इन्सान दलाल बन चूका
धरती जल औ अग्नि, वैश्या
ग़र मुझसे पूछो पैसा हवा न्यायी होवे तो भला
—सूर्य चंदा आकास अर्शी हैं, फर्शों से क्या वास्ता!
Posted by JPS on December 25, 2016 · Leave a Comment
इन्सान दलाल बन चूका
धरती जल औ अग्नि, वैश्या
ग़र मुझसे पूछो पैसा हवा न्यायी होवे तो भला
—सूर्य चंदा आकास अर्शी हैं, फर्शों से क्या वास्ता!
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